पार्यावरण का अंधाधुंध दोहन
रोको हम
अनावश्यक रूप से पर्यावरण के संसाधनों का उपयोग अंधाधुंध रूप से कर रहे हैं और
बदले में हानिकारक रसायनों और प्रदूषण के अलावा कुछ भी नहीं दे रहे । ये परिणाम
विश्वभर में पर्यावरणीय समस्याओं को जन्म दे रहे हैं विडंबना है कि, मनुष्य अपनी
धरती माँ को दूषित, प्रदूषित और अपूर्णीय क्षति पहुँचाने के कई कार्य करता है जैसे
वनों की कटाई करता है,
जैव विविधता का नुकसान पहुंचता है, वायु
प्रदूषण करता है, जहरीले रसायनों के प्रवाह करके नदियों को
प्रदूषित करता है, अपशिष्ट पदार्थों को फैलाकर गंदगी करता है,
प्लास्टिक कचरा फैलाकर मिटटी की उपजाऊ क्षमता को कमजोर करता है,
ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन परत का कमजोर करने वाली गतिविधियाँ करता है,
भूमिगत जल तेल गैस भंडार और प्राकृतिक संसाधन जैसे खनिजों का उत्खनन
करके भूगर्भीय संरचना, जहरीले गैसों का विकास, हवा में प्रदूषण, धुंध आदि को बढ़ाने का काम मनुष्य
करता है |
विकसित
देश वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं के लिए अधिक जिम्मेदार हैं सोचिए कि
क्या हम कभी भी ऐसे परिवेश में रहना पसंद करेंगे जो खराब या अस्वस्थ में हो
स्वाभाविक है की सभी का उत्तर नहीं में होगा उल्लेखनीय है कि, एक आदर्श वातावरण वह
है जो मानव रोगों से बचाए रखे, प्राकृतिक संसाधनों को
अनियंत्रित दोहन को रोके, पौधों और पशुओं के विलुप्त होने का
कारण उत्पन्न न करें लेकिन वस्तुस्थिति यह है की आधुनिक दुनिया में सभी मानव कार्य
और गतिविधियां सीधे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण विपरीत प्रभाव डाल रहे
हैं । इसलिए मानव को चाहिए की उसे अपनी गतिविधियों की निगरानी करनी चाहिए और यह
सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अपने खतरनाक कृत्यों को रोक दें ताकि पर्यावरण को
सुरक्षित किया जा सके। संक्रामक बिमारियों फ़ैलाने वाले घटकों
को जानिए बायो
मेडिकल कचरा संक्रामक बिमारियों को फ़ैलाने वाला माध्यम है इस कचरे में काँच व
प्लास्टिक से बनी ग्लूकोज की बोतलें, इंजेक्शन और सिरिंज,
दवाओं की खाली बोतलें व उपयोग किए गए आईवी सेट, दस्ताने और अन्य सामग्री आये हैं इसके अलावा इनमें विभिन्न रिपोर्टें,
रसीदें व अस्पताल की पर्चियाँ आदि भी शामिल होती हैं। बायोमेडिकल
जनित करने वाले मुख्य स्रोत तो सरकारी और प्राइवेट अस्पताल, नर्सिंग होम, डिस्पेंसरी तथा प्राथमिक स्वास्थ्य
केंद्र होते हैं । इनके अलावा विभिन्न मेडिकल कॉलेज, रिसर्च
सेंटर, पराचिकित्सक सेवाएं, ब्लड बैंक,
मुर्दाघर, शव-परीक्षा केंद्र, पशु चिकित्सा कॉलेज, पशु रिसर्च सेंटर, स्वास्थ्य संबंधी उत्पादन केंद्र तथा विभिन्न बायोमेडिकल शैक्षिक संस्थान
भी बड़ी मात्रा में बायोमेडिकल कचरा पैदा करते हैं इसके अलावा सामान्य चिकित्सक,
दंत चिकित्सा क्लीनिकों, पशु घरों, कसाईघरों, रक्तदान शिविरों, एक्यूपंक्चर
विशेषज्ञों, मनोरोग क्लीनिकों, अंत्येष्टि
सेवाओं, टीकाकरण केंद्रों तथा विकलांगता शैक्षिक संस्थानों
से भी थोड़ा-बहुत बायोमेडिकल कचरा बड़े पैमाने पर निकलता है ।
विनिष्टीकरण
की प्रक्रिया जटिल है सामान्य तापमान में बायो मेडिकल
वेस्ट को जलाकर खत्म भी नहीं किया जा सकता है जिसके करण यह लगातार डायोक्सिन और
फ्यूरान्स जैसे आर्गेनिक प्रदूषक पैदा करता है, जिनसे कैंसर,
प्रजनन और विकास संबंधी परेशानियाँ पैदा हो सकती हैं इसलिए इन
बायो-मेडिकल वस्तुओं के पुनर्चक्रण (recycle) पर जोर दिया
जाता है अगर गंदगी में शारीरिक द्रव्य (bodily fluids) मौजूद
हैं तो उनको जला देना जरुरी है, लेकिन ज्यादातर अस्पताल ऐसा
नहीं करते हैं उल्लेखनीय है की बायोमेडिकल वेस्ट (Bio-Medical Waste) के नियमों का उल्लंघन करने वालों की सूची स्थानीय राज्य सरकारों के प्रदूषण
नियंत्रण बोर्ड के पास होती है जिसका सतत अवलोकन कर नागरिकों को सतर्क रहना चाहिए
क्योकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दोषी पाए जाने वाले अस्पतालों चाहे वे सरकारी
हों व निजी अस्पताल या फिर नर्सिंग होम हो, इनके खिलाफ सख्त
कार्रवाई प्राधिकार रखते है । इसलिए जन सामान्य को चाहिए की वह अपने आसपास के
खतरनाक कचरे की सतत निगरानी करके अपनी नागरिक जिम्मेदारी पूरी करें |